प्रेम मे स्त्रियां #2
,, प्रेम मे स्त्रियां,,
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प्रेम करती स्त्रियां पसन्द आती हैं इस समाज को सिर्फ पत्नी के किरदार में
नहीं पसन्द आती प्रेम करती वो स्त्रियां
जो होती है अविवाहित ..
करती हैं प्रेम जो अपने मनपसंद लड़के से
आस पड़ोस में, कॉलेज में , कार्यस्थल में
प्रेम करती ये स्त्रियां खटकती हैं समाज की नजरों में !
अपनों की नजरों में भी कहाँ ये स्त्रियां
सम्मान पाती हैं ?
बड़ी मुश्किलों से अपने प्रेम के लिए न्याय पाती हैं ।
ऐसा नहीँ है कि प्रेम करने के लिए स्त्रियों को विवाहित होना जरूरी हैं ।
प्रेम करती वो विवाहित स्त्रियां भी पसंद नहीँ आती समाज को , अपनों को , रिश्तेदारों को जो स्त्रियां झेल चुकी जीवनसाथी से अचानक बिछड़ने का दर्द !
या वो विवाहित स्त्रियां जो झेल रही अलगाव का दंश !
जो जी रही आत्मनिर्भर होकर खुद की पहचान बनाकर जिन्होंने पुरुषों से कर लिया किनारा ..
ऐसी स्त्रियों के द्वारा किया गया प्रेम खटकता है समाज की नजरों में क्योंकि प्रेम करती स्त्रियां सिर्फ पसन्द आती हैं समाज को पत्नियो के किरदार में!
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आप इस पर अवश्य सोचें। जरूरी नहीं कि मेरी सभी बातें ठीक हों। कौन दावा कर सकता है सभी बातों के ठीक होने का। ऐसा मैं सोचता हूं, वह मैंने कहा। उस पर सोचना। हो सकता है कोई बात ठीक लगे, तो ठीक लगते ही बात सक्रिय हो जाती है। न ठीक लगे, बात समाप्त हो जाती है।