मेरी आँखें मेरे होंठों से ज़्यादा बातें करती हैं!
मुझे याद है जब तुमने
पहली बार इज़हार किया था
तो मेरी लबों से पहले
मेरी आँखों ने हामी भरी थी!
तुम इतना ख़ुश हुए थे कि तुम्हें
याद भी नहीं रहा की मैंने
आख़िर में जवाब क्या दिया!
तुम अक्सर यूँ ही
मेरी आँखों की बड़बड में
उलझें रहते इसीलिए तुमने
हिदायत भी दी थी की इनपर
काजल लगाकर इन्हें शांत रखा करो!
फिर मुझे हमारी वो
आख़िरी मुलाक़ात भी याद है
जब तुमने मुझे पूछा था कि
“क्या अब सच में जाना चाहते हो?”
और मैंने
बिना कोई जवाब दिए,
बस आँखें फेर ली थीं
क्यूँकि
मेरी आँखें मेरे होंठों से
ज़्यादा बातें करती हैं!
💕💕💕💕
- प्रियम्वदा झा