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हम अक्सर वो ढूढते है जो हमारे अंदर पहले से ही मौजूद होता है,लेकिन मन की चंचलता उसे अदृश्य बना कर ,हमे व्याकुल कर देता है, खुद मे इतने सक्षम हम होते है कि किसी की उपस्थिति की हमें आवश्कता नहीं है, या यू कह लीजिये किसी के अनुपस्थिति इतनी भी भया शील नहीं हो सकती की हम जीने की आस छोड़ दे, हम्मे एक अद्भुत गुण मौजूद होता है आत्ममंथन का ,प्रेम का,त्याग का , समर्पण का, खोज का, जिसे ही हम भूल जाते हे।।।