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ख़्याल जेसे तुम्हारा ग़ुलाम हो गया हो ,आँखें मानो सदियों से सोया न हो , जेसे कोई उसे हर रात थपकी दे के गुम हो जाता हो , ग़ज़ब सी बेचेनी , हाथ रखते ही किसी को भी दिल की दस्तक पता चल जाती हो , और हर निवाले के साथ सड़कना मानो आदत सी हो गयी हो और क्या कह कर बताऊँ की तुम ,तुम नही , हम हो चुके हों।।