Priyamvada Jul 29, 20211 min read#1ख़्वाबों की तप्तिस में वो ख़्वाब खो गई न जाने क्यू एसी बात हो हुई ख़्याल खो सा गया ख़्वाब गुमनाम हो गईthe poem trees.com
ख़्वाबों की तप्तिस में वो ख़्वाब खो गई न जाने क्यू एसी बात हो हुई ख़्याल खो सा गया ख़्वाब गुमनाम हो गईthe poem trees.com
अधूरी___ख्वाब थे हक़ीक़त कब बन गए जुल्फो में खो कर, मेरे कब बन गए दवे पाऊ सिरहाने में आकर दवे पाऊं चोखट पर कब कर गए।