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#1

ख़्वाबों की तप्तिस में वो ख़्वाब खो गई

न जाने क्यू एसी बात हो हुई

ख़्याल खो सा गया ख़्वाब गुमनाम हो गई

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ख्वाब थे हक़ीक़त कब बन गए जुल्फो में खो कर, मेरे कब बन गए दवे पाऊ सिरहाने में आकर दवे पाऊं चोखट पर कब कर गए।

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